Shirdi Temple Open or Closed Today: Current Status, Darshan Booking, and Timings

Shirdi Sai Baba Darshan timings: Complete List 

Check the current status of Shirdi Sai Baba Temple to find out if it's open or closed today. 

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Shiridi Sai Temple Timings Complete List

Discover the distance to Shirdi Temple and all you need to know about Sai Baba Temple timings today

ଶିର୍ଡି ମନ୍ଦିର ଖୋଲିବା ଏବଂ ବନ୍ଦ ହେବାର ସମୟ, ଦର୍ଶନ ସମୟ ଏବଂ ଦର୍ଶନ ଅନଲାଇନ ବୁକିଂ କରିବା ଉପାୟ ବିଷୟରେ ସଂପୂର୍ଣ୍ଣ ତଥ୍ୟ ପାଉନ୍ତୁ।
  1. Temple Open

    • Time: 4:45 AM
    • Description: The temple doors open early in the morning, allowing devotees to enter and begin their day with prayers and darshan (viewing the deity).
  2. Bhupali

    • Time: 5:00 AM
    • Description: Bhupali is a morning hymn sung to wake up the deity. It is a form of early morning prayer, setting a serene and devotional atmosphere in the temple.
  3. Kakad Aarti (Morning)

    • Time: 5:15 AM
    • Description: The Kakad Aarti is the first aarti (devotional song) of the day, performed at dawn. It is a ritual to wake up the deity and start the day's worship.
  4. Mangal Snaan in Samadhi Mandir

    • Time: 5:50 AM
    • Description: Mangal Snaan refers to the ceremonial bathing of the deity, which takes place in the Samadhi Mandir. This ritual purifies and refreshes the deity for the day.
  5. Aarti "Shirdi Majhe Pandharpur"

    • Time: 6:20 AM
    • Description: This aarti is a devotional song that praises Shirdi as the Pandharpur (a holy town associated with Lord Vithoba). It reflects the deep spiritual connection devotees feel with Shirdi.
  6. Darshan Begins in Samadhi Mandir

    • Time: 6:25 AM
    • Description: After the morning rituals, darshan (viewing of the deity) begins for the devotees. This is the time when devotees can enter the Samadhi Mandir to seek blessings.
  7. Dhuni Pooja with Rice and Ghee in Dwarkamai

    • Time: 11:30 AM
    • Description: Dhuni Pooja involves offering rice and ghee (clarified butter) into the sacred fire (dhuni) in Dwarkamai. This ritual is performed to invoke divine blessings and purify the surroundings.
  8. Mid-day Aarti

    • Time: 12:00 PM
    • Description: The Mid-day Aarti is performed at noon. It is a significant ritual where devotees gather to sing hymns and offer their prayers to the deity.
  9. Pothi (Devotional Reading / Study) in Samadhi Mandir

    • Time: 4:00 PM
    • Description: Pothi refers to the reading or study of sacred texts and scriptures. This session is conducted in the Samadhi Mandir, promoting spiritual learning and reflection among devotees.
  10. Dhoop Aarti

    • Time: At Sunset
    • Description: Dhoop Aarti is performed at sunset. It involves lighting incense sticks and singing devotional songs to honor the deity as the day comes to a close.
  11. Devotional Songs in Samadhi Mandir & Cultural Programs

    • Time: 8:30 - 10:00 PM
    • Description: In the evening, devotional songs are sung, and cultural programs are held in the Samadhi Mandir. These activities create a devotional atmosphere and engage the devotees in spiritual activities.
  12. Shej Aarti

    • Time: 10:00 PM
    • Description: Shej Aarti is the final aarti of the day. It is a ritual to put the deity to rest for the night. Devotees offer their prayers and sing hymns before the temple closes for the day.

These rituals and activities are integral parts of the daily schedule at the temple, fostering a deep sense of spirituality and devotion among the devotees.

Timings and Details in Hindi:

  1. मंदिर खुलता है

    • समय: 4:45 AM
    • विवरण: सुबह जल्दी मंदिर के द्वार खुलते हैं, जिससे भक्त प्रवेश कर सकते हैं और अपने दिन की शुरुआत प्रार्थना और दर्शन से कर सकते हैं।
  2. भूपाली

    • समय: 5:00 AM
    • विवरण: भूपाली एक सुबह का भजन है जो देवता को जगाने के लिए गाया जाता है। यह एक प्रकार की सुबह की प्रार्थना है जो मंदिर में एक शांति और भक्ति का वातावरण बनाती है।
  3. काकड़ आरती (सुबह)

    • समय: 5:15 AM
    • विवरण: काकड़ आरती दिन की पहली आरती है, जो सुबह होती है। यह एक अनुष्ठान है जो देवता को जगाने और दिन की पूजा शुरू करने के लिए किया जाता है।
  4. समाधि मंदिर में मंगल स्नान

    • समय: 5:50 AM
    • विवरण: मंगल स्नान का अर्थ है देवता का औपचारिक स्नान, जो समाधि मंदिर में होता है। यह अनुष्ठान देवता को दिन के लिए शुद्ध और ताजा करता है।
  5. आरती "शिरडी माझे पंढरपुर"

    • समय: 6:20 AM
    • विवरण: यह आरती एक भक्ति गीत है जो शिरडी को पंढरपुर के रूप में प्रशंसा करता है। यह भक्तों की गहरी आध्यात्मिक संबंध को दर्शाता है।
  6. समाधि मंदिर में दर्शन शुरू होते हैं

    • समय: 6:25 AM
    • विवरण: सुबह के अनुष्ठानों के बाद, भक्तों के लिए दर्शन (देवता का दर्शन) शुरू होते हैं। यह वह समय है जब भक्त समाधि मंदिर में प्रवेश कर सकते हैं और आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
  7. द्वारकामाई में चावल और घी के साथ धूनी पूजा

    • समय: 11:30 AM
    • विवरण: धूनी पूजा में द्वारकामाई में पवित्र अग्नि (धूनी) में चावल और घी चढ़ाया जाता है। यह अनुष्ठान दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने और वातावरण को शुद्ध करने के लिए किया जाता है।
  8. मध्याह्न आरती

    • समय: 12:00 PM
    • विवरण: मध्याह्न आरती दोपहर में होती है। यह एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जहां भक्त भजन गाते हैं और अपनी प्रार्थनाएं देवता को अर्पित करते हैं।
  9. समाधि मंदिर में पोथी (भक्ति पढ़ाई / अध्ययन)

    • समय: 4:00 PM
    • विवरण: पोथी का अर्थ है पवित्र ग्रंथों और शास्त्रों का अध्ययन। यह सत्र समाधि मंदिर में आयोजित किया जाता है, जिससे भक्तों में आध्यात्मिक सीख और चिंतन को बढ़ावा मिलता है।
  10. धूप आरती

    • समय: सूर्यास्त के समय
    • विवरण: धूप आरती सूर्यास्त के समय होती है। इसमें अगरबत्ती जलाकर और भजन गाकर देवता का सम्मान किया जाता है।
  11. समाधि मंदिर में भक्ति गीत और सांस्कृतिक कार्यक्रम

    • समय: 8:30 - 10:00 PM
    • विवरण: शाम के समय, समाधि मंदिर में भक्ति गीत गाए जाते हैं और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। ये गतिविधियाँ भक्तों को आध्यात्मिक गतिविधियों में शामिल करती हैं और भक्ति का माहौल बनाती हैं।
  12. शेज आरती

    • समय: 10:00 PM
    • विवरण: शेज आरती दिन की अंतिम आरती है। यह एक अनुष्ठान है जो देवता को रात के लिए विश्राम देने के लिए किया जाता है। भक्त अपनी प्रार्थनाएं अर्पित करते हैं और मंदिर के बंद होने से पहले भजन गाते हैं।

ये अनुष्ठान और गतिविधियाँ मंदिर की दैनिक अनुसूची का अभिन्न हिस्सा हैं, जो भक्तों के बीच गहरी आध्यात्मिकता और भक्ति को बढ़ावा देती हैं।

Shiridi Temple Timings in Odia Language :

  • ମନ୍ଦିର ଖୋଲିବା

    • ସମୟ: ସକାଳ 4:45
    • ବିବରଣୀ: ମନ୍ଦିରର ଦ୍ୱାର ସକାଳେ ଶୀଘ୍ର ଖୋଲାଯାଏ, ଯାହାର ଫଳରେ ଭକ୍ତଗଣ ପ୍ରବେଶ କରିପାରନ୍ତି ଏବଂ ପୂଜା ଏବଂ ଦର୍ଶନର ସହିତ ତାଙ୍କର ଦିନାରମ୍ଭ କରିପାରନ୍ତି।
  • ଭୂପାଳି

    • ସମୟ: ସକାଳ 5:00
    • ବିବରଣୀ: ଭୂପାଳି ହେଉଛି ଦେବତାଙ୍କୁ ଜଗାଇବାକୁ ଗାଇଥିବା ଏକ ସକାଳର ଭଜନ। ଏହା ଏକ ପ୍ରକାର ସକାଳର ପୂଜା, ଯାହା ମନ୍ଦିରରେ ଏକ ଶାନ୍ତିପୂର୍ଣ୍ଣ ଏବଂ ଭକ୍ତିପୂର୍ଣ୍ଣ ପରିବେଶ ସୃଷ୍ଟି କରେ।
  • କାକଡ ଆରତି (ସକାଳ)

    • ସମୟ: ସକାଳ 5:15
    • ବିବରଣୀ: କାକଡ ଆରତି ଦିନର ପ୍ରଥମ ଆରତି, ଯାହା ଅପରାଣ୍ହ ଦିନରେ କରାଯାଏ। ଏହା ଏକ ଅନୁଷ୍ଠାନ ଯାହା ଦେବତାଙ୍କୁ ଜଗାଇବା ଏବଂ ଦିନର ପୂଜା ଆରମ୍ଭ କରିବାକୁ ହୁଏ।
  • ସମାଧି ମନ୍ଦିରରେ ମଙ୍ଗଳ ସ୍ନାନ

    • ସମୟ: ସକାଳ 5:50
    • ବିବରଣୀ: ମଙ୍ଗଳ ସ୍ନାନ ଅର୍ଥ ହେଉଛି ଦେବତାଙ୍କର ଔପଚାରିକ ସ୍ନାନ, ଯାହା ସମାଧି ମନ୍ଦିରରେ ହୁଏ। ଏହି ଅନୁଷ୍ଠାନ ଦିନର ନିମନ୍ତେ ଦେବତାକୁ ପବିତ୍ର ଏବଂ ତାଜା କରେ।
  • ଆରତି "ଶିର୍ଡି ମାଝେ ପଂଧରପୁର"

    • ସମୟ: ସକାଳ 6:20
    • ବିବରଣୀ: ଏହି ଆରତି ଏକ ଭକ୍ତିମୟ ଗୀତ ଯାହା ଶିର୍ଡିକୁ ପଂଧରପୁର (ଲୋକଙ୍କ ସହିତ ସମ୍ପର୍କିତ ଏକ ପବିତ୍ର ଠାରୁ) ଭାବରେ ପ୍ରଶଂସା କରେ। ଏହା ଭକ୍ତମାନଙ୍କ ଗଭୀର ଆଧ୍ୟାତ୍ମିକ ସମ୍ପର୍କକୁ ପ୍ରତିଫଳିତ କରେ।
  • ସମାଧି ମନ୍ଦିରରେ ଦର୍ଶନ ଆରମ୍ଭ

    • ସମୟ: ସକାଳ 6:25
    • ବିବରଣୀ: ସକାଳର ଅନୁଷ୍ଠାନ ପରେ, ଭକ୍ତମାନଙ୍କ ପାଇଁ ଦର୍ଶନ (ଦେବତାଙ୍କର ଦର୍ଶନ) ଆରମ୍ଭ ହୁଏ। ଏହା ଏହି ସମୟ ଯେତେବେଳେ ଭକ୍ତମାନେ ସମାଧି ମନ୍ଦିରକୁ ପ୍ରବେଶ କରିପାରନ୍ତି ଏବଂ ଆଶୀର୍ବାଦ ନେଇପାରନ୍ତି।
  • ଦ୍ୱାରକାମାଇରେ ଧୂନି ପୂଜା (ଚାଉଳ ଏବଂ ଘିଅ ସହିତ)

    • ସମୟ: ବିକାଳ 11:30
    • ବିବରଣୀ: ଧୂନି ପୂଜା ଦ୍ୱାରକାମାଇରେ ପବିତ୍ର ଅଗ୍ନିରେ (ଧୂନି) ଚାଉଳ ଏବଂ ଘିଅ ଦାନକୁ ଅର୍ପଣ କରିବାରେ ଆସନ୍ତି। ଏହି ଅନୁଷ୍ଠାନ ଦିବ୍ୟ ଆଶୀର୍ବାଦ ପାଇବା ଏବଂ ପରିବେଶକୁ ପବିତ୍ର କରିବାକୁ କରାଯାଏ।
  • ମଧ୍ୟାହ୍ନ ଆରତି

    • ସମୟ: ବିକାଳ 12:00
    • ବିବରଣୀ: ମଧ୍ୟାହ୍ନ ଆରତି ଦିନରେ ହୁଏ। ଏହା ଏକ ଗୁରୁତ୍ୱପୂର୍ଣ୍ଣ ଅନୁଷ୍ଠାନ ଯେଉଁଠାରେ ଭକ୍ତମାନେ ଭଜନ ଗାନ୍ତି ଏବଂ ଦେବତାକୁ ପ୍ରାର୍ଥନା ଅର୍ପଣ କରନ୍ତି।
  • ପୋଥି (ଭକ୍ତି ପଢିବା / ଅଧ୍ୟୟନ) ସମାଧି ମନ୍ଦିରରେ

    • ସମୟ: ବିକାଳ 4:00
    • ବିବରଣୀ: ପୋଥିର ଅର୍ଥ ହେଉଛି ପବିତ୍ର ପାଠ୍ୟପୁସ୍ତକ ଏବଂ ଶାସ୍ତ୍ରଗୁଡ଼ିକର ଅଧ୍ୟୟନ। ଏହି ସତ୍ର ସମାଧି ମନ୍ଦିରରେ ଆୟୋଜିତ ହୁଏ, ଯାହା ଭକ୍ତମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ ଆଧ୍ୟାତ୍ମିକ ଶିକ୍ଷା ଏବଂ ଚିନ୍ତନକୁ ପ୍ରେରିତ କରେ।
  • ଧୂପ ଆରତି

    • ସମୟ: ସୂର୍ଯ୍ୟାସ୍ତ ସମୟ
    • ବିବରଣୀ: ଧୂପ ଆରତି ସୂର୍ଯ୍ୟାସ୍ତ ସମୟରେ ହୁଏ। ଏହାରେ ଅଗରବତ୍ତି ଜଳାଇବା ଏବଂ ଭକ୍ତିମୟ ଗୀତ ଗାଇବା ଦ୍ୱାରା ଦେବତାଙ୍କ ପ୍ରତି ମାନ୍ୟତା ଦର୍ଶାଯାଏ।
  • ସମାଧି ମନ୍ଦିରରେ ଭକ୍ତିମୟ ଗୀତ ଏବଂ ସାମ୍ସ୍କୃତିକ କାର୍ଯ୍ୟକ୍ରମ

    • ସମୟ: ସଂଧ୍ୟା 8:30 - 10:00
    • ବିବରଣୀ: ସନ୍ଧ୍ୟାରେ, ଭକ୍ତିମୟ ଗୀତ ଗାଯାଏ ଏବଂ ସାମ୍ସ୍କୃତିକ କାର୍ଯ୍ୟକ୍ରମ ଆୟୋଜିତ ହୁଏ। ଏହି କାର୍ଯ୍ୟକ୍ରମ ଏକ ଭକ୍ତିମୟ ପରିବେଶ ସୃଷ୍ଟି କରେ ଏବଂ ଭକ୍ତମାନଙ୍କୁ ଆଧ୍ୟାତ୍ମିକ କାର୍ଯ୍ୟକଳାପରେ ଜଡ଼ାଇ ରଖେ।
  • ଶେଜ ଆରତି

    • ସମୟ: ରାତି 10:00
    • ବିବରଣୀ: ଶେଜ ଆରତି ହେଉଛି ଦିନର ଶେଷ ଆରତି। ଏହା ଏକ ଅନୁଷ୍ଠାନ ଯାହାରେ ଦେବତାଙ୍କୁ ରାତି ପାଇଁ ବିଶ୍ରାମ ଦେବାକୁ କରାଯାଏ। ଭକ୍ତମାନେ ତାଙ୍କର ପ୍ରାର୍ଥନା ଅର୍ପଣ କରନ୍ତି ଏବଂ ମନ୍ଦିର ବନ୍ଦ ହେବା ପୂର୍ବରୁ ଭଜନ ଗାନ୍ତି।

  • शिरडी साईं बाबा मंदिर के बारे में विवरण:

    स्थान: शिरडी, महाराष्ट्र, भारत

    इतिहास: शिरडी साईं बाबा मंदिर, शिरडी के साईं बाबा को समर्पित एक पवित्र तीर्थ स्थल है। साईं बाबा को 19वीं सदी के संत और महान योगी माना जाता है, जिन्होंने अपने उपदेशों और चमत्कारों से लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया। उनका मुख्य संदेश था "सबका मालिक एक" (सभी का मालिक एक है), जिससे धार्मिक समन्वय और मानवता की सेवा का प्रचार हुआ।

    मंदिर का निर्माण: मंदिर का निर्माण साईं बाबा के समाधि लेने के बाद 1922 में शुरू हुआ। श्री साईं बाबा संस्थान ट्रस्ट शिरडी (SSST) द्वारा मंदिर का संचालन और देखभाल किया जाता है। ट्रस्ट भक्तों की सेवा के लिए कई सुविधाएं और सेवाएं प्रदान करता है।

    मुख्य आकर्षण:

    1. समाधि मंदिर: समाधि मंदिर में साईं बाबा की समाधि स्थित है, जहाँ बाबा के पार्थिव शरीर को दफनाया गया था। यहाँ भक्त साईं बाबा की संगमरमर की मूर्ति के दर्शन करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

    2. द्वारकामाई: द्वारकामाई मस्जिद वह स्थान है जहाँ साईं बाबा ने अपने जीवन का अधिकांश समय बिताया। यहाँ एक धूनी (पवित्र अग्नि) जलती रहती है, जिसे बाबा ने स्वयं जलाया था। धूनी से प्राप्त राख को भक्त पवित्र और उपचारक मानते हैं।

    3. चावड़ी: चावड़ी वह स्थान है जहाँ साईं बाबा सप्ताह में एक रात विश्राम करते थे। यहाँ भी पूजा और आरती की जाती है।

    4. गुरुस्थान: गुरुस्थान वह स्थान है जहाँ साईं बाबा पहली बार शिरडी में दिखाई दिए थे। यहाँ एक नीम का पेड़ है, जिसे पवित्र माना जाता है।

    5. लेंडी बाग: लेंडी बाग एक बगीचा है जहाँ साईं बाबा प्रतिदिन पौधों की देखभाल करते थे और ध्यान करते थे। यहाँ एक दीपगृह (दीप स्तंभ) है, जिसे बाबा ने जलाया था।

    धार्मिक अनुष्ठान: मंदिर में प्रतिदिन विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें आरती, भजन, पूजा, और प्रसाद वितरण शामिल हैं। मंदिर में चार मुख्य आरतियाँ होती हैं: काकड़ आरती (सुबह), मध्याह्न आरती, धूप आरती (संध्या), और शेज आरती (रात)। इन आरतियों में भाग लेने के लिए बड़ी संख्या में भक्त एकत्रित होते हैं।

    मंदिर की सुविधाएं: श्री साईं बाबा संस्थान ट्रस्ट द्वारा भक्तों के लिए कई सुविधाएं प्रदान की जाती हैं, जिनमें आवास, भोजन, चिकित्सा सेवाएं, और धर्मशाला शामिल हैं। ट्रस्ट ने शिरडी में कई धर्मार्थ और सामुदायिक परियोजनाएं भी शुरू की हैं।

    आवागमन: शिरडी सड़क, रेल और वायु मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। नजदीकी हवाई अड्डा शिरडी एयरपोर्ट है, और नजदीकी रेलवे स्टेशन शिरडी नगर है। राज्य परिवहन और निजी बसें भी शिरडी के लिए उपलब्ध हैं।

    पर्यटन और यात्रा सुझाव: शिरडी में मंदिर के अलावा, शनि शिंगणापुर, नासिक, त्र्यंबकेश्वर, और अजन्ता-एलोरा की गुफाएं भी दर्शनीय स्थल हैं, जिन्हें शिरडी की यात्रा के दौरान देखा जा सकता है।

    शिरडी साईं बाबा मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि एक आध्यात्मिक केंद्र भी है, जहाँ दुनिया भर से लाखों भक्त बाबा के आशीर्वाद और शांति की तलाश में आते हैं।

    About the Shirdi Sai Baba Temple

    Location:
    Shirdi, Maharashtra, India

    History:
    The Shirdi Sai Baba Temple is a revered pilgrimage site dedicated to Sai Baba of Shirdi, a saint and yogi of the 19th century known for his teachings and miracles. Sai Baba's core message was "Sabka Malik Ek" (One God governs all), promoting religious harmony and service to humanity.

    Construction of the Temple:
    The temple's construction began after Sai Baba's passing in 1918, and it was officially completed in 1922. It is managed by the Shri Saibaba Sansthan Trust (SSST), which provides various facilities and services to devotees.

    Main Attractions:

    1. Samadhi Mandir:
      The Samadhi Mandir houses Sai Baba's tomb, where his physical body was laid to rest. Devotees come here to seek blessings and view a marble statue of Sai Baba.

    2. Dwarkamai:
      Dwarkamai is the mosque where Sai Baba spent much of his life. A sacred fire (dhuni) burns here, lit by Baba himself, and the ash from this fire is considered holy and healing.

    3. Chavadi:
      Chavadi is the place where Sai Baba used to sleep once a week. Devotional activities and rituals are still conducted here.

    4. Gurusthan:
      Gurusthan is where Sai Baba first appeared in Shirdi. A neem tree stands here, considered sacred by devotees.

    5. Lendi Baug:
      Lendi Baug is a garden where Sai Baba used to water plants and meditate daily. A lamp post (deepgriha) lit by Baba is also located here.

    Religious Rituals: Daily religious rituals and programs are conducted at the temple, including aartis, bhajans (devotional songs), pujas (prayers), and the distribution of prasad (blessed food). The temple has four main aartis:

    • Kakad Aarti (Morning)
    • Mid-day Aarti
    • Dhoop Aarti (Evening)
    • Shej Aarti (Night)

    Devotees gather in large numbers to participate in these aartis.

    Facilities: The Shri Saibaba Sansthan Trust provides various facilities for devotees, including accommodation, food, medical services, and rest houses. The trust has also initiated several charitable and community projects in Shirdi.

    Access: Shirdi is well-connected by road, rail, and air. The nearest airport is Shirdi Airport, and the nearest railway station is Sainagar Shirdi. State transport and private buses also operate to and from Shirdi.

    Tourism and Travel Tips: In addition to the temple, nearby attractions include Shani Shingnapur, Nashik, Trimbakeshwar, and the Ajanta-Ellora Caves, which can be visited during a trip to Shirdi.

    The Shirdi Sai Baba Temple is not only a religious site but also a spiritual center where millions of devotees from around the world come to seek Baba's blessings and peace.

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